(इंदौर भंडारे में पूज्य गुरुदेव परमहंस स्वामीनन्द जी महाराज द्वारा दिनांक 23/03/2019 को दिया गया संदेश) सम्सतबरेज एक बहुत बड़े फकीर हुए। उनके बारे में कहा जाता है कि वह हर वक्त खुदा में लय रहते थे। उनकी लयता ऐसी थी मानो जो खुदा है वही वह हैं और जो वह हैं वही खुदा है। इसी को एकत्व भी कहते हैं यानी अद्वैत हो जाना। यही हम मानवों का लक्ष्य है। यहाँ आने के बाद ही धर्म शास्त्रों में जो कुछ भी कहा गया है वह घटित होने लगता है। जैसे:- जो चाहोगे वही होगा। अगर असत्य भी करोगे तो वह सत्य हो जाएगा। इस अवस्था को प्राप्त करने के लिए एक ही केंद्र होना चाहिए, एक ही भगवान होना चाहिए, एक ही गुरु होना चाहिए ताकि एक रिश्ता का व्रत पालन हो सके। इसी व्रत का पालन किया था सम्सतरवेज ने जिसके वजह से वह सदा मस्त रहा करते थे। देखने से ऐसा प्रतीत होता मानो वह आनंद में डूबे जा रहे हैं। कोई देखता तो कहता यह अवधूत है, पागल है। अक्सर ऐसी अवस्था में अपना ध्यान नहीं रहता। जहाँ अपना ध्यान नहीं रहता परमात्मा हमेशा उसकी देखभाल किया करता है। सम्सतरवेज जि...