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सत्य-असत्य के बीच फँसा मानव

 

बच्चों को मूर्त रुप में खिलौने दिए जाते हैं और बच्चा मूर्त रुप खिलौनों की तरफ आकर्षित भी होता है । इसी को देखते हुए शिक्षा प्रणाली में भी शुरु- शुरु में बच्चों को मूर्त रुप दिया गया। छाता का चित्र बनाकर "छ" सिखाया गया। घोड़ा का चित्र बनाकर "घ" सिखाया गया इत्यादि। जब बच्चा "छ" एवं "घ" को सीख जाता है तो छाता एवं घोड़ा के चित्र को छोड़ देता है क्योंकि छाता "छ" नहीं होता और घोड़ा "घ" नहीं होता। यानी सत्य जानने के बाद असत्य को छोड़ देता है। पर हम आध्यात्मिक बच्चे कभी भी असत्य से सत्य बाहर नहीं निकाल पाते। सत्य-असत्य दोनों को ही साथ-साथ पकड़े रहना चाहते हैं। अतः हम जीवन भर बच्चे ही बने रहते हैं। कभी जवान नहीं हो पाते। यही सबसे बड़ा दु:ख का कारण है। इस सत्य-असत्य के बीच बड़े-बड़े धर्मगुरु भी फँसे हुए दिखते हैं। नंग-धिडंग साधु तथा आत्मदर्शी गुरु बुलेटप्रूफ में घुसकर निर्भीकता का संदेश देते हैं, आत्मदर्शन से होने वाली उपलब्धि की बात करते हैं। क्या ऐसे प्रमाण को देख समाज भ्रमित नहीं होगा?
       एक बार नानक साहब एक नीम के वृक्ष के नीचे बैठे हुए थे। अंतिम अवस्था चल रही थी क्योंकि स्वास्थ कुछ खराब चल रहा था। अतः भक्तगण दर्शनार्थ आ रहे थे। कुछ भक्तों ने कहा:-"गुरु महाराज आपकी शारीरिक अनुपस्थिति की बात सोचकर मन अधीर हो जाता है। आगे हम लोगों का क्या होगा? अतः हम लोग आपका प्रवचन सुनना चाहते हैं ताकि मन में कुछ धीरज बड़े।
 गुरु नानक साहब ने कहा:- "पहले इस नीम के वृक्ष को काट डालो फिर मैं तुम लोगों के लिए प्रवचन करुँगा।"
 शिष्य ने पूछा:- "सरकार आपके प्रवचन से इस पेड़ का क्या संबंध है? यह कोई बाधक तो नहीं है। फिर ऐसा क्यों चाहते हैं?"
 गुरु नानक साहब ने कहा:- "मैं इसलिए चाह रहा हूँ कि मेरे मरने के बाद तुम लोग प्रवचन के उद्देश्य को भूल जाओगे और इस नीम के पेड़ को याद ज्यादा करोगे कि मेरे गुरुदेव इस पेड़ के नीचे बैठकर ज्ञान देते थे। धीरे-धीरे ज्ञान को भूलकर नीम की पूजा करने लगोगे। ऐसा करते मैंने कई लोगों को देखता आ रहा हूँ। भक्त लोग बैनर को जोर से पकड़ते हैं पर बैनर के लक्ष्य और उद्देश्य को भूल जाते हैं। फोटो को पकड़े हुए हैं और फोटो के सत्य से अलग होकर विषयांतर हो गए हैं। इसलिए मुझे डर है कि मेरे उद्देश्यों को छोड़कर तुम इस नीम के वृक्ष की पूजा न करने लगो।"
परमहंस स्वामीनंद जी महाराज
(दिव्य चेतना सत्संग)

                                                                           
                                                        

Comments

  1. Great motivational message by GURUMAHARAJ.🤲💐🌺🌸🌼🌷🙏🙏🙏

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